श्री कृष्ण स्मृति भाग 122

 "टाइप को कैसे समझें'?


"टाइप' को समझने में बहुत कठिनाई नहीं है। एक तो रास्ता यह है कि जो तुम्हें आकर्षित करता हो, समझना वह तुम्हारा "टाइप' नहीं है। सीधा सूत्र, वह तुम्हारा "टाइप' नहीं है। उससे बचना, उससे सावधान रहना। और जो तुम्हें विकर्षित करता हो, उस पर जरा चिंतन करना, वह तुम्हारा "टाइप' होगा। अब यह बड़ी मुश्किल की बात है, जो तुम्हें विकर्षित करता हो, "रिपल्सिव' सिद्ध होता हो, वह तुम्हारा "टाइप' है। जैसे, पुरुष कैसे पहचाने कि मैं पुरुष हूं? अगर पुरुषों के प्रति उसे कोई प्रेम-लगाव पैदा न होता हो, पहचान ले। और क्या रास्ता है? पुरुष उसे आकर्षित नहीं करते, वह विकर्षक है। स्त्री कैसे समझे कि वह स्त्री है? स्त्री को देखकर ही दिक्कत होती हो, और अड़चन पैदा हो जाती हो। दो स्त्रियों को पास रखना बड़ी कठिन बात है। वह विकर्षक है। वे एक-दूसरे के लिए आकर्षक नहीं हैं, "रिपल्सिव' हैं। एक-दूसरे को हटाती हैं। एक-दूसरे की तरफ उनकी आकर्षण की धारा नहीं बहती, विकर्षण की धारा बहती है। इसलिए दो स्त्रियों को साथ रखने से बड़ी कठिनाई और कुछ नहीं है।

जो तुम्हें आकर्षित करे, पहला समझ लेना कि यह तुम्हारा "टाइप' नहीं होगा। जो तुम्हें आकर्षित करे, वह तुम्हारा "टाइप' होगा। यह बड़ी कठिन और जटिल बात है। और इसलिए बड़े मजे की बात है, आमतौर से जिन चीजों की तुम निंदा करते हो और जिनके तुम खिलाफ हो, वे तुम्हारी होंगी, वे तुम्हारे भीतर होंगी। जो आदमी दिन-रात "सेक्स' का विरोध करता है, उसकी खबर मिलती है कि उसके भीतर "सेक्सुअलिटी' होगी। यह बड़ा जटिल है। लेकिन खयाल में ले लिया जाए तो बहुत आसान हो जाएगा। जो आदमी दिन-रात धन की निंदा करता हो, जानना कि वह धन-लोलुप है। जो आदमी संसार से भागता हो, जानना कि संसारी है। मैं यही कह रहा हूं कि आपका विपरीत जो है, वह आपके लिए आकर्षक होता है। इसलिए जो आपको आकर्षित करे, समझना कि वह आपका "टाइप' नहीं है।


"कभी यह आकर्षित करे, कभी वह आकर्षित करे तो?'


तो उसको समझना कि तुम "कन्फ्यूज्ड टाइप' हो। समझे न! उसका और कोई मतलब नहीं होता।

ओशो रजनीश





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