श्री कृष्ण स्मृति भाग 45

 "सुपरमैन' हो गया न वह? मैं ही ब्रह्म हो जाता हूं का क्या तात्पर्य?'


"सुपरमैन' कहना मुश्किल है। जब हम कहते हैं कि मैं ब्रह्म हो जाता है, तो "मैन' बचता ही नहीं। आदमी बचता ही नहीं। जब मैं ब्रह्म हो  जाता है तो ब्रह्म ही बचता है। आदमी नहीं बचता। वह "शियर ट्रांसेडेंस' है, उसके बाद कुछ बचता नहीं। बस, अतिक्रमण है।

राम के बाबत संभव है। मजाक गहरा है। लेकिन हम बहुत गंभीर लोग हैं, और जो लोग राम वगैरह पर विचार करते हैं वे भारी गंभीर लोग हैं, वे मजाक को नहीं समझ पाते, वे बेचारे गंभीरता से व्याख्याएं किए चले जाते हैं। मजाक यह है कि राम तुम आदमी ऐसे हो कि वाल्मीकि कवि तुम्हारी कथा पहले ही लिख दे सकता है। इससे ज्यादा कुछ नहीं, इससे ज्यादा कोई दिक्कत तुम में नहीं है।

ओशो रजनीश


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