श्री कृष्ण स्मृति भाग 46

 "शृंखलाबद्ध जीवन में और सहज जीवन में स्मृतियां क्या खतम हो जाएंगी?'


नहीं, शृंखलाबद्ध जीवन में आपका होना आपकी स्मृति से निकलेगा। सहज जीवन में आपका होना अपनी स्मृति का उपयोग करेगा। इतना फर्क होगा। आप तो प्रतिपल नए होंगे, सहज जीवन में, अगर आप चाहेंगे तो आपकी स्मृति का उपयोग करेंगे! स्मृति आपके चित्त के संग्रह में पड़ी रहेगी, मौजूद रहेगी, मिट नहीं जाएगी, बनी रहेगी। लेकिन वह ऐसे ही होगी जैसे आपके घर में नीचे के तलघर में बहुत-सा सामान भरा है, जब जरूरत होती है, आप निकाल लेते हैं। इसलिए बुद्ध ने जो नाम दिया है, उसको नाम दिया है, उन्होंने कहा है, आगार; कहा है, आवास। स्मृति-आगार। वह एक संग्रह है, "स्टोरहाउस आफ कांशसनेस'। चेतना का एक संग्रह है। जो पड़ा है एक तरफ। जब जरूरत आपको होगी--आपके "स्पांटेनियस' एक्ज़िस्टेंस' को भी जरूरत पड़ेगी स्मृति की। आपको अपने घर वापस लौटना होगा, तो आपको अपने घर की स्मृति की जरूरत पड़ेगी। आप उसका उपयोग करेंगे।

ओशो रजनीश


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