श्री कृष्ण स्मृति भाग 76
"फिर कुछ चुने हुओं का वर्ग हमेशा हावी रहेगा?'
वे रहे हैं। और "एलाइट क्लास' हमेशा हावी रहेगा, शक्लें बदल सकती हैं उससे और कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। कभी वह मालिक की तरह हावी होता है, कभी नेता की तरह हावी होता है, कभी राजा की तरह हावी होता है, कभी गुरु की तरह हावी होता है, कभी महात्मा की तरह हावी होता है, लेकिन "एलाइट' हमेशा हावी होता है। और ऐसा मैं कोई युग नहीं देख सकता, जिस दिन कि चुने हुए लोग हावी नहीं होंगे। असल में जब तक चुने हुए लोग रहेंगे तब तक हावी होते रहेंगे, इसमें कोई उपाय नहीं है। यह दूसरी बात है, उनकी शक्ल बदल जाए, कभी हम उनको कहें कि ये राजा हैं और कभी हम कहें ये राष्ट्रपति हैं। कभी हम कहें कि ये सम्राट हैं और कभी हम कहें कि वे मंत्री हैं। और कभी हम कहें कि ये महात्मा हैं और कभी हम कहें कि ये भगवान हैं। और हम नाम कुछ भी देते रहें लेकिन जब तक मनुष्यों का विकास समान तल पर नहीं पहुंच जाता कि हर मनुष्य समान तल पर पहुंच जाए, समस्त विकासों की दृष्टि से जैसा कि मैं नहीं मानता कि कभी हो पाएगा। और वह समाज बड़ा बेरौनक और बहुत बेहूदा होगा, जिस दिन सारे लोग समान तल पर पहुंच जाएंगे। बहुत "बोरडम' का होगा--अभी हम सोच सकते हैं। लेकिन चुने हुए लोग रहेंगे। कोई अच्छा सितार बजाएगा, तो कम अच्छा सितार बजानेवाले पर हावी हो ही जाने वाला है, इसमें करियेगा क्या! कोई अच्छा नाचेगा तो कम अच्छा नाचनेवाले पर हावी हो ही जाने वाला है, इसमें करियेगा क्या! अब कोई आइंस्टीन पैदा होगा, तो जो दो और दो भी नहीं जोड़ सकते उन पर अगर हावी हो जाए, तो इसमें कसूर किसका? इसमें करियेगा क्या? यह स्थिति ऐसी है कि इस स्थिति में कोई-न-कोई हावी होता रहेगा। यह बात पक्की है कि पुराने ढंग के हावी होनेवाले लोगों से जब हम ऊब जाते हैं--ऊब भी जाते हैं और व्यवस्था के लिए, भविष्य के लिए वे मौजूं भी नहीं रह जाते, इसलिए बदलाहट करनी पड़ती है। अब आज रूस है, हमने बदल दिया है सब, लेकिन फिर दूसरे लोग हावी हो गए। वे पिछले लोगों से कम हावी नहीं हैं, बल्कि ज्यादा ही हावी हैं। आज चीन है, हमने एक को तो बदल दिया, दूसरे लोग हावी हो गए।
जब तक मनुष्य और मनुष्य के बीच फासले हैं, बुद्धि के, विचार के, क्षमताओं के, प्रतिभाओं के, शक्तियों के, तब तक असंभव है कि कोई हावी नहीं हो सकेगा। हो ही जाएगा। और तब तक यह असंभव है कि कोई न चाहेगा कि कोई मुझ पर हावी हो जाए। कोई चाहेगा कि हावी हो जाए। क्योंकि वह भी बिना उसके नहीं जी सकेगा, बिना हावी हुए। तो दुनिया में बदलाहट चलती रहेगी। एक युग की बात हमें बेहूदी लगने लगती है, क्योंकि हम दूसरी तरह के हावीपन को स्वीकार कर लेते हैं।
कृष्ण के वक्त में यह सहज स्वीकृत है। गरीब गरीब होने को राजी है। अमीर के मन में कोई दंश नहीं है अमीर होने का। क्योंकि जब तक गरीब गरीब होने को राजी है। अमीर के मन में दंश हो नहीं सकता। अमीर "ऐट ईज' है। उसे कोई तकलीफ नहीं है इस बात की। इसलिए समाज को कोई चिंतन का मौका पैदा नहीं होता। जैसे उदाहरण के लिए, अभी हम कहने लगे कि गरीब और अमीर समान होने चाहिए। उसका कुल कारण यह नहीं है कि हमारी बौद्धिक प्रतिभा कृष्ण से आगे चली गई, उसका कुल कारण इतना है कि सामाजिक व्यवस्था कृष्ण से भिन्न हो गई। लेकिन अभी भी कोई आदमी यह नहीं कह सकता कि मैं कम बुद्धि का हूं, तो जो मुझसे ज्यादा बुद्धि का है, हममें समानता होनी चाहिए। लेकिन आज से पचास साल बाद कम बुद्धि का आदमी यह अपील करना शुरू कर देगा। क्योंकि पचास साल में हम वह व्यवस्था खोज लेंगे जिससे बुद्धि में भी कमी-बढ़ती की जा सकती है। अभी वह व्यवस्था हमारे पास नहीं है, विकसित हो रही है। पचास साल बाद हर बच्चा यह कहेगा कि मैं जड़बुद्धि होने को राजी नहीं हूं, और किसी आदमी को यह हक नहीं है कि वह प्रतिभाशाली हो जाए, होंगे तो हम सब समान रहेंगे।
यह उस दिन उठ सकती है, अभी नहीं उठ सकती यह आवाज। क्योंकि अभी हमारे पास व्यवस्था नहीं है। लेकिन अब हम जो खोज कर रहे हैं और मनुष्य के "जीन' में, उसके मूल "सेल' में जो प्रवेश हो गया है, उससे संभावना बढ़ गई है। क्योंकि मनुष्य के "जीन' में विज्ञान का जो प्रवेश है, अब वह यह बात तय कर सकेगा कि इस बच्चे की कितनी प्रतिभा हो जो इस बीज से पैदा होगा। और जैसे अभी बाजार में आप फूलों के बीज का पैकेट खरीदने चले जाते हैं, जिस पर फूल की तस्वीर बनी होती है ऊपर कि अगर इस बीज को इतनी खाद और इतनी व्यवस्था दी गई तो यह बीज इतना बड़ा फूल बन सकेगा, उस दिन एक बाप और एक मां बाजार में--सिर्फ पचास साल के भीतर--उस पैकेट को खरीद सकेंगे जिसमें बच्चे की तस्वीर बनी होगी कि इसकी आंखें इस रंग की होंगी, इसके बाल इस ढंग के होंगे, इसकी लंबाई इतनी होगी, इसका स्वास्थ्य इतना होगा, इसकी उम्र इतनी होगी--यह "गारंटीड' है कि सत्तर साल तक नहीं मरेगा, इसको ये-ये बीमारियां नहीं होंगी और इसकी प्रतिभा का "आइ.क्यू.' इतना होगा, इसकी बुद्धि का माप इतना होगा। आप चुनाव कर सकते हैं। यह संभव हो जाएगा। बीज के बाबत भी पहले संभव नहीं था, आज संभव है। आदमी भी एक बीज से जन्मता है। आदमी के बीज के बाबत भी संभव हो सकता है।
जिस दिन यह संभव हो जाएगा, उस दिन हम पूछेंगे कि कृष्ण को कभी खयाल न आया कि यह प्रतिभा और गैर-प्रतिभा में समानता होनी चाहिए। आ कैसे सकती है? इसके आने का कोई उपाय नहीं है।
ओशो रजनीश
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